129وَلَولا كَلِمَةٌ سَبَقَت مِن رَبِّكَ لَكانَ لِزامًا وَأَجَلٌ مُسَمًّىफ़ारूक़ ख़ान & अहमदयदि तेरे रब की ओर से पहले ही एक बात निश्चित न हो गई होती और एक अवधि नियत न की जा चुकी होती, तो अवश्य ही उन्हें यातना आ पकड़ती