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Sura 2
Aya 271
271
إِن تُبدُوا الصَّدَقاتِ فَنِعِمّا هِيَ ۖ وَإِن تُخفوها وَتُؤتوهَا الفُقَراءَ فَهُوَ خَيرٌ لَكُم ۚ وَيُكَفِّرُ عَنكُم مِن سَيِّئَاتِكُم ۗ وَاللَّهُ بِما تَعمَلونَ خَبيرٌ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

अगर ख़ैरात को ज़ाहिर में दो तो यह (ज़ाहिर करके देना) भी अच्छा है और अगर उसको छिपाओ और हाजतमन्दों को दो तो ये छिपा कर देना तुम्हारे हक़ में ज्यादा बेहतर है और ऐसे देने को ख़ुदा तुम्हारे गुनाहों का कफ्फ़ारा कर देगा और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़बरदार है