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Sura 2
Aya 145
145
وَلَئِن أَتَيتَ الَّذينَ أوتُوا الكِتابَ بِكُلِّ آيَةٍ ما تَبِعوا قِبلَتَكَ ۚ وَما أَنتَ بِتابِعٍ قِبلَتَهُم ۚ وَما بَعضُهُم بِتابِعٍ قِبلَةَ بَعضٍ ۚ وَلَئِنِ اتَّبَعتَ أَهواءَهُم مِن بَعدِ ما جاءَكَ مِنَ العِلمِ ۙ إِنَّكَ إِذًا لَمِنَ الظّالِمينَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यदि तुम उन लोगों के पास, जिन्हें किताब दी गई थी, कोई भी निशानी ले आओ, फिर भी वे तुम्हारे क़िबले का अनुसरण नहीं करेंगे और तुम भी उसके क़िबले का अनुसरण करने वाले नहीं हो। और वे स्वयं परस्पर एक-दूसरे के क़िबले का अनुसरण करनेवाले नहीं हैं। और यदि तुमने उस ज्ञान के पश्चात, जो तुम्हारे पास आ चुका है, उनकी इच्छाओं का अनुसरण किया, तो निश्चय ही तुम्हारी गणना ज़ालिमों में होगी