146الَّذينَ آتَيناهُمُ الكِتابَ يَعرِفونَهُ كَما يَعرِفونَ أَبناءَهُم ۖ وَإِنَّ فَريقًا مِنهُم لَيَكتُمونَ الحَقَّ وَهُم يَعلَمونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदजिन लोगों को हमने किताब दी है वे उसे पहचानते है, जैसे अपने बेटों को पहचानते है और उनमें से कुछ सत्य को जान-बूझकर छिपा रहे हैं