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Sura 2
Aya 105
105
ما يَوَدُّ الَّذينَ كَفَروا مِن أَهلِ الكِتابِ وَلَا المُشرِكينَ أَن يُنَزَّلَ عَلَيكُم مِن خَيرٍ مِن رَبِّكُم ۗ وَاللَّهُ يَختَصُّ بِرَحمَتِهِ مَن يَشاءُ ۚ وَاللَّهُ ذُو الفَضلِ العَظيمِ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

ऐ रसूल अहले किताब में से जिन लोगों ने कुफ्र इख़तेयार किया वह और मुशरेकीन ये नहीं चाहते हैं कि तुम पर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से भलाई (वही) नाज़िल की जाए और (उनका तो इसमें कुछ इजारा नहीं) खुदा जिसको चाहता है अपनी रहमत के लिए ख़ास कर लेता है और खुदा बड़ा फज़ल (करने) वाला है