106۞ ما نَنسَخ مِن آيَةٍ أَو نُنسِها نَأتِ بِخَيرٍ مِنها أَو مِثلِها ۗ أَلَم تَعلَم أَنَّ اللَّهَ عَلىٰ كُلِّ شَيءٍ قَديرٌफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(ऐ रसूल) हम जब कोई आयत मन्सूख़ करते हैं या तुम्हारे ज़ेहन से मिटा देते हैं तो उससे बेहतर या वैसी ही (और) नाज़िल भी कर देते हैं क्या तुम नहीं जानते कि बेशुबहा खुदा हर चीज़ पर क़ादिर है