98وَكَم أَهلَكنا قَبلَهُم مِن قَرنٍ هَل تُحِسُّ مِنهُم مِن أَحَدٍ أَو تَسمَعُ لَهُم رِكزًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदउनसे पहले कितनी ही नसलों को हम विनष्ट कर चुके है। क्या उनमें किसी की आहट तुम पाते हो या उनकी कोई भनक सुनते हो?