79كَلّا ۚ سَنَكتُبُ ما يَقولُ وَنَمُدُّ لَهُ مِنَ العَذابِ مَدًّاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदकदापि नहीं, हम लिखेंगे जो कुछ वह कहता है और उसके लिए हम यातना को दीर्घ करते चले जाएँगे।