62لا يَسمَعونَ فيها لَغوًا إِلّا سَلامًا ۖ وَلَهُم رِزقُهُم فيها بُكرَةً وَعَشِيًّاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदवहाँ वे 'सलाम' के सिवा कोई व्यर्थ बात नहीं सुनेंगे। उनकी रोज़ी उन्हें वहाँ प्रातः और सन्ध्या समय प्राप्त होती रहेगी