31وَجَعَلَني مُبارَكًا أَينَ ما كُنتُ وَأَوصاني بِالصَّلاةِ وَالزَّكاةِ ما دُمتُ حَيًّاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर मुझे बरकतवाला किया जहाँ भी मैं रहूँ, और मुझे नमाज़ और ज़कात की ताकीद की, जब तक कि मैं जीवित रहूँ