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Sura 18
Aya 55
55
وَما مَنَعَ النّاسَ أَن يُؤمِنوا إِذ جاءَهُمُ الهُدىٰ وَيَستَغفِروا رَبَّهُم إِلّا أَن تَأتِيَهُم سُنَّةُ الأَوَّلينَ أَو يَأتِيَهُمُ العَذابُ قُبُلًا

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

आख़िर लोगों को, जबकि उनके पास मार्गदर्शन आ गया, तो इस बात से कि वे ईमान लाते और अपने रब से क्षमा चाहते, इसके सिवा किसी चीज़ ने नहीं रोका कि उनके लिए वही कुछ सामने आए जो पूर्व जनों के सामने आ चुका है, यहाँ तक कि यातना उनके सामने आ खड़ी हो