36وَما أَظُنُّ السّاعَةَ قائِمَةً وَلَئِن رُدِدتُ إِلىٰ رَبّي لَأَجِدَنَّ خَيرًا مِنها مُنقَلَبًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर मैं नहीं समझता कि वह (क़ियामत की) घड़ी कभी आएगी। और यदि मैं वास्तव में अपने रब के पास पलटा भी तो निश्चय ही पलटने की जगह इससे भी उत्तम पाऊँगा।"