35وَدَخَلَ جَنَّتَهُ وَهُوَ ظالِمٌ لِنَفسِهِ قالَ ما أَظُنُّ أَن تَبيدَ هٰذِهِ أَبَدًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर ये बातें करता हुआ अपने बाग़ मे भी जा पहुँचा हालॉकि उसकी आदत ये थी कि (कुफ्र की वजह से) अपने ऊपर आप ज़ुल्म कर रहा था (ग़रज़ वह कह बैठा) कि मुझे तो इसका गुमान नहीं तो कि कभी भी ये बाग़ उजड़ जाए