36وَما أَظُنُّ السّاعَةَ قائِمَةً وَلَئِن رُدِدتُ إِلىٰ رَبّي لَأَجِدَنَّ خَيرًا مِنها مُنقَلَبًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर मै तो ये भी नहीं ख्याल करता कि क़यामत क़ायम होगी और (बिलग़रज़ हुई भी तो) जब मै अपने परवरदिगार की तरफ लौटाया जाऊँगा तो यक़ीनन इससे कहीं अच्छी जगह पाऊँगा