102أَفَحَسِبَ الَّذينَ كَفَروا أَن يَتَّخِذوا عِبادي مِن دوني أَولِياءَ ۚ إِنّا أَعتَدنا جَهَنَّمَ لِلكافِرينَ نُزُلًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदतो क्या इनकार करनेवाले इस ख़याल में हैं कि मुझसे हटकर मेरे बन्दों को अपना हिमायती बना लें? हमने ऐसे इनकार करनेवालों के आतिथ्य-सत्कार के लिए जहन्नम तैयार कर रखा है