101الَّذينَ كانَت أَعيُنُهُم في غِطاءٍ عَن ذِكري وَكانوا لا يَستَطيعونَ سَمعًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदजिनके नेत्र मेरी अनुस्मृति की ओर से परदे में थे और जो कुछ सुन भी नहीं सकते थे