58وَإِن مِن قَريَةٍ إِلّا نَحنُ مُهلِكوها قَبلَ يَومِ القِيامَةِ أَو مُعَذِّبوها عَذابًا شَديدًا ۚ كانَ ذٰلِكَ فِي الكِتابِ مَسطورًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर कोई बस्ती नहीं है मगर रोज़ क़यामत से पहले हम उसे तबाह व बरबाद कर छोड़ेगें या (नाफरमानी) की सज़ा में उस पर सख्त से सख्त अज़ाब करेगें (और) ये बात किताब (लौहे महफूज़) में लिखी जा चुकी है