46وَجَعَلنا عَلىٰ قُلوبِهِم أَكِنَّةً أَن يَفقَهوهُ وَفي آذانِهِم وَقرًا ۚ وَإِذا ذَكَرتَ رَبَّكَ فِي القُرآنِ وَحدَهُ وَلَّوا عَلىٰ أَدبارِهِم نُفورًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर उनके दिलों पर भी परदे डाल देते है कि वे समझ न सकें। और उनके कानों में बोझ (कि वे सुन न सकें) । और जब तुम क़ुरआन के माध्यम से अपने रब का वर्णन उसे अकेला बताते हुए करते हो तो वे नफ़रत से अपनी पीठ फेरकर चल देते है