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Sura 16
Aya 76
76
وَضَرَبَ اللَّهُ مَثَلًا رَجُلَينِ أَحَدُهُما أَبكَمُ لا يَقدِرُ عَلىٰ شَيءٍ وَهُوَ كَلٌّ عَلىٰ مَولاهُ أَينَما يُوَجِّههُ لا يَأتِ بِخَيرٍ ۖ هَل يَستَوي هُوَ وَمَن يَأمُرُ بِالعَدلِ ۙ وَهُوَ عَلىٰ صِراطٍ مُستَقيمٍ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और ख़ुदा एक दूसरी मसल बयान फरमाता है दो आदमी हैं कि एक उनमें से बिल्कुल गूँगा उस पर गुलाम जो कुछ भी (बात वग़ैरह की) कुदरत नहीं रखता और (इस वजह से) वह अपने मालिक को दूभर हो रहा है कि उसको जिधर भेजता है (ख़ैर से) कभी भलाई नहीं लाता क्या ऐसा ग़ुलाम और वह शख़्श जो (लोगों को) अदल व मियाना रवी का हुक्म करता है वह खुद भी ठीक सीधी राह पर क़ायम है (दोनों बराबर हो सकते हैं (हरगिज़ नहीं)