89وَيا قَومِ لا يَجرِمَنَّكُم شِقاقي أَن يُصيبَكُم مِثلُ ما أَصابَ قَومَ نوحٍ أَو قَومَ هودٍ أَو قَومَ صالِحٍ ۚ وَما قَومُ لوطٍ مِنكُم بِبَعيدٍफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर ऐ मेरी क़ौमे मेरी ज़िद कही तुम से ऐसा जुर्म न करा दे जैसी मुसीबत क़ौम नूह या हूद या सालेह पर नाज़िल हुई थी वैसी ही मुसीबत तुम पर भी आ पड़े और लूत की क़ौम (का ज़माना) तो (कुछ ऐसा) तुमसे दूर नहीं (उन्हीं के इबरत हासिल करो