101قُلِ انظُروا ماذا فِي السَّماواتِ وَالأَرضِ ۚ وَما تُغنِي الآياتُ وَالنُّذُرُ عَن قَومٍ لا يُؤمِنونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदकहो, "देख लो, आकाशों और धरती में क्या कुछ है!" किन्तु निशानियाँ और चेतावनियाँ उन लोगों के कुछ काम नहीं आती, जो ईमान न लाना चाहें