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Sura 9
Aya 80
80
استَغفِر لَهُم أَو لا تَستَغفِر لَهُم إِن تَستَغفِر لَهُم سَبعينَ مَرَّةً فَلَن يَغفِرَ اللَّهُ لَهُم ۚ ذٰلِكَ بِأَنَّهُم كَفَروا بِاللَّهِ وَرَسولِهِ ۗ وَاللَّهُ لا يَهدِي القَومَ الفاسِقينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

(ऐ रसूल) ख्वाह तुम उन (मुनाफिक़ों) के लिए मग़फिरत की दुआ मॉगों या उनके लिए मग़फिरत की दुआ न मॉगों (उनके लिए बराबर है) तुम उनके लिए सत्तर बार भी बख्शिस की दुआ मांगोगे तो भी ख़ुदा उनको हरगिज़ न बख्शेगा ये (सज़ा) इस सबब से है कि उन लोगों ने ख़ुदा और उसके रसूल के साथ कुफ्र किया और ख़ुदा बदकार लोगों को मंज़िलें मकसूद तक नहीं पहुँचाया करता