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Sura 7
Aya 176
176
وَلَو شِئنا لَرَفَعناهُ بِها وَلٰكِنَّهُ أَخلَدَ إِلَى الأَرضِ وَاتَّبَعَ هَواهُ ۚ فَمَثَلُهُ كَمَثَلِ الكَلبِ إِن تَحمِل عَلَيهِ يَلهَث أَو تَترُكهُ يَلهَث ۚ ذٰلِكَ مَثَلُ القَومِ الَّذينَ كَذَّبوا بِآياتِنا ۚ فَاقصُصِ القَصَصَ لَعَلَّهُم يَتَفَكَّرونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यदि हम चाहते तो इन आयतों के द्वारा उसे उच्चता प्रदान करते, किन्तु वह तो धरती के साथ लग गया और अपनी इच्छा के पीछे चला। अतः उसकी मिसाल कुत्ते जैसी है कि यदि तुम उसपर आक्षेप करो तब भी वह ज़बान लटकाए रहे या यदि तुम उसे छोड़ दो तब भी वह ज़बान लटकाए ही रहे। यही मिसाल उन लोगों की है, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया, तो तुम वृत्तान्त सुनाते रहो, कदाचित वे सोच-विचार कर सकें