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Sura 63
Aya 6
6
سَواءٌ عَلَيهِم أَستَغفَرتَ لَهُم أَم لَم تَستَغفِر لَهُم لَن يَغفِرَ اللَّهُ لَهُم ۚ إِنَّ اللَّهَ لا يَهدِي القَومَ الفاسِقينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

तो तुम उनकी मग़फेरत की दुआ माँगो या न माँगो उनके हक़ में बराबर है (क्यों कि) ख़ुदा तो उन्हें हरगिज़ बख्शेगा नहीं ख़ुदा तो हरगिज़ बदकारों को मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाया करता