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Sura 6
Aya 54
54
وَإِذا جاءَكَ الَّذينَ يُؤمِنونَ بِآياتِنا فَقُل سَلامٌ عَلَيكُم ۖ كَتَبَ رَبُّكُم عَلىٰ نَفسِهِ الرَّحمَةَ ۖ أَنَّهُ مَن عَمِلَ مِنكُم سوءًا بِجَهالَةٍ ثُمَّ تابَ مِن بَعدِهِ وَأَصلَحَ فَأَنَّهُ غَفورٌ رَحيمٌ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जब तुम्हारे पास वे लोग आएँ, जो हमारी आयतों को मानते है, तो कहो, "सलाम हो तुमपर! तुम्हारे रब ने दयालुता को अपने ऊपर अनिवार्य कर लिया है कि तुममें से जो कोई नासमझी से कोई बुराई कर बैठे, फिर उसके बाद पलट आए और अपना सुधार कर तो यह है वह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।"