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Sura 6
Aya 25
25
وَمِنهُم مَن يَستَمِعُ إِلَيكَ ۖ وَجَعَلنا عَلىٰ قُلوبِهِم أَكِنَّةً أَن يَفقَهوهُ وَفي آذانِهِم وَقرًا ۚ وَإِن يَرَوا كُلَّ آيَةٍ لا يُؤمِنوا بِها ۚ حَتّىٰ إِذا جاءوكَ يُجادِلونَكَ يَقولُ الَّذينَ كَفَروا إِن هٰذا إِلّا أَساطيرُ الأَوَّلينَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उनमें कुछ लोग ऐसे है जो तुम्हारी ओर कान लगाते है, हालाँकि हमने तो उनके दिलों पर परदे डाल रखे है कि वे उसे समझ न सकें और उनके कानों में बोझ डाल दिया है। और वे चाहे प्रत्येक निशानी देख लें तब भी उसे मानेंगे नहीं; यहाँ तक कि जब वे तुम्हारे पास आकर तुमसे झगड़ते है, तो अविश्वास की नीति अपनानेवाले कहते है, "यह तो बस पहले को लोगों की गाथाएँ है।"