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Sura 6
Aya 124
124
وَإِذا جاءَتهُم آيَةٌ قالوا لَن نُؤمِنَ حَتّىٰ نُؤتىٰ مِثلَ ما أوتِيَ رُسُلُ اللَّهِ ۘ اللَّهُ أَعلَمُ حَيثُ يَجعَلُ رِسالَتَهُ ۗ سَيُصيبُ الَّذينَ أَجرَموا صَغارٌ عِندَ اللَّهِ وَعَذابٌ شَديدٌ بِما كانوا يَمكُرونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जब उनके पास कोई आयत (निशानी) आता है, तो वे कहते है, "हम कदापि नहीं मानेंगे, जब तक कि वैसी ही चीज़ हमें न दी जाए जो अल्लाह के रसूलों को दी गई हैं।" अल्लाह भली-भाँति उस (के औचित्य) को जानता है, जिसमें वह अपनी पैग़म्बरी रखता है। अपराधियों को शीघ्र ही अल्लाह के यहाँ बड़े अपमान और कठोर यातना का सामना करना पड़ेगा, उस चाल के कारण जो वे चलते रहे है