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Sura 50
Aya 37
37
إِنَّ في ذٰلِكَ لَذِكرىٰ لِمَن كانَ لَهُ قَلبٌ أَو أَلقَى السَّمعَ وَهُوَ شَهيدٌ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

इसमें शक़ नहीं कि जो शख़्श (आगाह) दिल रखता है या कान लगाकर हुज़ूरे क़ल्ब से सुनता है उसके लिए इसमें (काफ़ी) नसीहत है