57يا أَيُّهَا الَّذينَ آمَنوا لا تَتَّخِذُوا الَّذينَ اتَّخَذوا دينَكُم هُزُوًا وَلَعِبًا مِنَ الَّذينَ أوتُوا الكِتابَ مِن قَبلِكُم وَالكُفّارَ أَولِياءَ ۚ وَاتَّقُوا اللَّهَ إِن كُنتُم مُؤمِنينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऐ ईमान लानेवालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ। और अल्लाह का डर रखों यदि तुम ईमानवाले हो