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Sura 5
Aya 45
45
وَكَتَبنا عَلَيهِم فيها أَنَّ النَّفسَ بِالنَّفسِ وَالعَينَ بِالعَينِ وَالأَنفَ بِالأَنفِ وَالأُذُنَ بِالأُذُنِ وَالسِّنَّ بِالسِّنِّ وَالجُروحَ قِصاصٌ ۚ فَمَن تَصَدَّقَ بِهِ فَهُوَ كَفّارَةٌ لَهُ ۚ وَمَن لَم يَحكُم بِما أَنزَلَ اللَّهُ فَأُولٰئِكَ هُمُ الظّالِمونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और हम ने तौरेत में यहूदियों पर यह हुक्म फर्ज क़र दिया था कि जान के बदले जान और ऑख के बदले ऑख और नाक के बदले नाक और कान के बदले कान और दॉत के बदले दॉत और जख्म के बदले (वैसा ही) बराबर का बदला (जख्म) है फिर जो (मज़लूम ज़ालिम की) ख़ता माफ़ कर दे तो ये उसके गुनाहों का कफ्फ़ारा हो जाएगा और जो शख्स ख़ुदा की नाज़िल की हुई (किताब) के मुवाफ़िक़ हुक्म न दे तो ऐसे ही लोग ज़ालिम हैं