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Sura 5
Aya 33
33
إِنَّما جَزاءُ الَّذينَ يُحارِبونَ اللَّهَ وَرَسولَهُ وَيَسعَونَ فِي الأَرضِ فَسادًا أَن يُقَتَّلوا أَو يُصَلَّبوا أَو تُقَطَّعَ أَيديهِم وَأَرجُلُهُم مِن خِلافٍ أَو يُنفَوا مِنَ الأَرضِ ۚ ذٰلِكَ لَهُم خِزيٌ فِي الدُّنيا ۖ وَلَهُم فِي الآخِرَةِ عَذابٌ عَظيمٌ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

जो लोग ख़ुदा और उसके रसूल से लड़ते भिड़ते हैं (और एहकाम को नहीं मानते) और फ़साद फैलाने की ग़रज़ से मुल्को (मुल्को) दौड़ते फिरते हैं उनकी सज़ा बस यही है कि (चुन चुनकर) या तो मार डाले जाएं या उन्हें सूली दे दी जाए या उनके हाथ पॉव हेर फेर कर एक तरफ़ का हाथ दूसरी तरफ़ का पॉव काट डाले जाएं या उन्हें (अपने वतन की) सरज़मीन से शहर बदर कर दिया जाए यह रूसवाई तो उनकी दुनिया में हुई और फिर आख़ेरत में तो उनके लिए बहुत बड़ा अज़ाब ही है