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Sura 46
Aya 8
8
أَم يَقولونَ افتَراهُ ۖ قُل إِنِ افتَرَيتُهُ فَلا تَملِكونَ لي مِنَ اللَّهِ شَيئًا ۖ هُوَ أَعلَمُ بِما تُفيضونَ فيهِ ۖ كَفىٰ بِهِ شَهيدًا بَيني وَبَينَكُم ۖ وَهُوَ الغَفورُ الرَّحيمُ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

क्या ये कहते हैं कि इसने इसको ख़ुद गढ़ लिया है तो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगर मैं इसको (अपने जी से) गढ़ लेता तो तुम ख़ुदा के सामने मेरे कुछ भी काम न आओगे जो जो बातें तुम लोग उसके बारे में करते रहते हो वह ख़ूब जानता है मेरे और तुम्हारे दरमियान वही गवाही को काफ़ी है और वही बड़ा बख्शने वाला है मेहरबान है