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Sura 42
Aya 51
51
۞ وَما كانَ لِبَشَرٍ أَن يُكَلِّمَهُ اللَّهُ إِلّا وَحيًا أَو مِن وَراءِ حِجابٍ أَو يُرسِلَ رَسولًا فَيوحِيَ بِإِذنِهِ ما يَشاءُ ۚ إِنَّهُ عَلِيٌّ حَكيمٌ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किसी मनुष्य की यह शान नहीं कि अल्लाह उससे बात करे, सिवाय इसके कि प्रकाशना के द्वारा या परदे के पीछे से (बात करे) । या यह कि वह एक रसूल (फ़रिश्ता) भेज दे, फिर वह उसकी अनुज्ञा से जो कुछ वह चाहता है प्रकाशना कर दे। निश्चय ही वह सर्वोच्च अत्यन्त तत्वदर्शी है