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Sura 40
Aya 85
85
فَلَم يَكُ يَنفَعُهُم إيمانُهُم لَمّا رَأَوا بَأسَنا ۖ سُنَّتَ اللَّهِ الَّتي قَد خَلَت في عِبادِهِ ۖ وَخَسِرَ هُنالِكَ الكافِرونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किन्तु उनका ईमान उनको कुछ भी लाभ नहीं पहुँचा सकता था जबकि उन्होंने हमारी यातना को देख लिया - यही अल्लाह की रीति है, जो उसके बन्दों में पहले से चली आई है - और उस समय इनकार करनेवाले घाटे में पड़कर रहे