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Sura 40
Aya 43
43
لا جَرَمَ أَنَّما تَدعونَني إِلَيهِ لَيسَ لَهُ دَعوَةٌ فِي الدُّنيا وَلا فِي الآخِرَةِ وَأَنَّ مَرَدَّنا إِلَى اللَّهِ وَأَنَّ المُسرِفينَ هُم أَصحابُ النّارِ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

बेशक तुम जिस चीज़ की तरफ़ मुझे बुलाते हो वह न तो दुनिया ही में पुकारे जाने के क़ाबिल है और न आख़िरत में और आख़िर में हम सबको ख़ुदा ही की तरफ लौट कर जाना है और इसमें तो शक ही नहीं कि हद से बढ़ जाने वाले जहन्नुमी हैं