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Sura 40
Aya 28
28
وَقالَ رَجُلٌ مُؤمِنٌ مِن آلِ فِرعَونَ يَكتُمُ إيمانَهُ أَتَقتُلونَ رَجُلًا أَن يَقولَ رَبِّيَ اللَّهُ وَقَد جاءَكُم بِالبَيِّناتِ مِن رَبِّكُم ۖ وَإِن يَكُ كاذِبًا فَعَلَيهِ كَذِبُهُ ۖ وَإِن يَكُ صادِقًا يُصِبكُم بَعضُ الَّذي يَعِدُكُم ۖ إِنَّ اللَّهَ لا يَهدي مَن هُوَ مُسرِفٌ كَذّابٌ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फ़िरऔन के लोगों में से एक ईमानवाले व्यक्ति ने, जो अपने ईमान को छिपा रहा था, कहा, "क्या तुम एक ऐसे व्यक्ति को इसलिए मार डालोगे कि वह कहता है कि मेरा रब अल्लाह है और वह तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से खुले प्रमाण भी लेकर आया है? यदि वह झूठा है तो उसके झूठ का वबाल उसी पर पड़ेगा। किन्तु यदि वह सच्चा है तो जिस चीज़ की वह तुम्हें धमकी दे रहा है, उसमें से कुछ न कुछ तो तुमपर पड़कर रहेगा। निश्चय ही अल्लाह उसको मार्ग नहीं दिखाता जो मर्यादाहीन, बड़ा झूठा हो