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Sura 4
Aya 90
90
إِلَّا الَّذينَ يَصِلونَ إِلىٰ قَومٍ بَينَكُم وَبَينَهُم ميثاقٌ أَو جاءوكُم حَصِرَت صُدورُهُم أَن يُقاتِلوكُم أَو يُقاتِلوا قَومَهُم ۚ وَلَو شاءَ اللَّهُ لَسَلَّطَهُم عَلَيكُم فَلَقاتَلوكُم ۚ فَإِنِ اعتَزَلوكُم فَلَم يُقاتِلوكُم وَأَلقَوا إِلَيكُمُ السَّلَمَ فَما جَعَلَ اللَّهُ لَكُم عَلَيهِم سَبيلًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

मगर जो लोग किसी ऐसी क़ौम से जा मिलें कि तुममें और उनमें (सुलह का) एहद व पैमान हो चुका है या तुमसे जंग करने या अपनी क़ौम के साथ लड़ने से दिलतंग होकर तुम्हारे पास आए हों (तो उन्हें आज़ार न पहुंचाओ) और अगर ख़ुदा चाहता तो उनको तुमपर ग़लबा देता तो वह तुमसे ज़रूर लड़ पड़ते पस अगर वह तुमसे किनारा कशी करे और तुमसे न लड़े और तुम्हारे पास सुलाह का पैग़ाम दे तो तुम्हारे लिए उन लोगों पर आज़ार पहुंचाने की ख़ुदा ने कोई सबील नहीं निकाली