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Sura 4
Aya 66
66
وَلَو أَنّا كَتَبنا عَلَيهِم أَنِ اقتُلوا أَنفُسَكُم أَوِ اخرُجوا مِن دِيارِكُم ما فَعَلوهُ إِلّا قَليلٌ مِنهُم ۖ وَلَو أَنَّهُم فَعَلوا ما يوعَظونَ بِهِ لَكانَ خَيرًا لَهُم وَأَشَدَّ تَثبيتًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

(इस्लामी शरीयत में तो उनका ये हाल है) और अगर हम बनी इसराइल की तरह उनपर ये हुक्म जारी कर देते कि तुम अपने आपको क़त्ल कर डालो या शहर बदर हो जाओ तो उनमें से चन्द आदमियों के सिवा ये लोग तो उसको न करते और अगर ये लोग इस बात पर अमल करते जिसकी उन्हें नसीहत की जाती है तो उनके हक़ में बहुत बेहतर होता