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Sura 4
Aya 154
154
وَرَفَعنا فَوقَهُمُ الطّورَ بِميثاقِهِم وَقُلنا لَهُمُ ادخُلُوا البابَ سُجَّدًا وَقُلنا لَهُم لا تَعدوا فِي السَّبتِ وَأَخَذنا مِنهُم ميثاقًا غَليظًا

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उन लोगों से वचन लेने के साथ (तूर) पहाड़ को उनपर उठा दिया और उनसे कहा, "दरवाज़े में सजदा करते हुए प्रवेश करो।" और उनसे कहा, "सब्त (सामूहिक इबादत का दिन) के विषय में ज़्यादती न करना।" और हमने उनसे बहुत-ही दृढ़ वचन लिया था