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Sura 4
Aya 129
129
وَلَن تَستَطيعوا أَن تَعدِلوا بَينَ النِّساءِ وَلَو حَرَصتُم ۖ فَلا تَميلوا كُلَّ المَيلِ فَتَذَروها كَالمُعَلَّقَةِ ۚ وَإِن تُصلِحوا وَتَتَّقوا فَإِنَّ اللَّهَ كانَ غَفورًا رَحيمًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और अगरचे तुम बहुतेरा चाहो (लेकिन) तुममें इतनी सकत तो हरगिज़ नहीं है कि अपनी कई बीवियों में (पूरा पूरा) इन्साफ़ कर सको (मगर) ऐसा भी तो न करो कि (एक ही की तरफ़) हमातन माएल हो जाओ कि (दूसरी को अधड़ में) लटकी हुई छोड़ दो और अगर बाहम मेल कर लो और (ज्यादती से) बचे रहो तो ख़ुदा यक़ीनन बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है