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Sura 38
Aya 32
32
فَقالَ إِنّي أَحبَبتُ حُبَّ الخَيرِ عَن ذِكرِ رَبّي حَتّىٰ تَوارَت بِالحِجابِ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

तो देखने में उलझे के नवाफिल में देर हो गयी जब याद आया तो बोले कि मैंने अपने परवरदिगार की याद पर माल की उलफ़त को तरजीह दी यहाँ तक कि आफ़ताब (मग़रिब के) पर्दे में छुप गया