You are here: Home » Chapter 32 » Verse 5 » Translation
Sura 32
Aya 5
5
يُدَبِّرُ الأَمرَ مِنَ السَّماءِ إِلَى الأَرضِ ثُمَّ يَعرُجُ إِلَيهِ في يَومٍ كانَ مِقدارُهُ أَلفَ سَنَةٍ مِمّا تَعُدّونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

आसमान से ज़मीन तक के हर अम्र का वही मुद्ब्बिर (व मुन्तज़िम) है फिर ये बन्दोबस्त उस दिन जिस की मिक़दार तुम्हारे शुमार से हज़ार बरस से होगी उसी की बारगाह में पेश होगा