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Sura 31
Aya 12
12
وَلَقَد آتَينا لُقمانَ الحِكمَةَ أَنِ اشكُر لِلَّهِ ۚ وَمَن يَشكُر فَإِنَّما يَشكُرُ لِنَفسِهِ ۖ وَمَن كَفَرَ فَإِنَّ اللَّهَ غَنِيٌّ حَميدٌ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और यक़ीनन हम ने लुक़मान को हिकमत अता की (और हुक्म दिया था कि) तुम ख़ुदा का शुक्र करो और जो ख़ुदा का शुक्र करेगा-वह अपने ही फायदे के लिए शुक्र करता है और जिसने नाशुक्री की तो (अपना बिगाड़ा) क्योंकी ख़ुदा तो (बहरहाल) बे परवाह (और) क़ाबिल हमदो सना है