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Sura 30
Aya 30
30
فَأَقِم وَجهَكَ لِلدّينِ حَنيفًا ۚ فِطرَتَ اللَّهِ الَّتي فَطَرَ النّاسَ عَلَيها ۚ لا تَبديلَ لِخَلقِ اللَّهِ ۚ ذٰلِكَ الدّينُ القَيِّمُ وَلٰكِنَّ أَكثَرَ النّاسِ لا يَعلَمونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

तो (ऐ रसूल) तुम बातिल से कतरा के अपना रुख़ दीन की तरफ किए रहो यही ख़ुदा की बनावट है जिस पर उसने लोगों को पैदा किया है ख़ुदा की (दुरुस्त की हुई) बनावट में तग़य्युर तबद्दुल (उलट फेर) नहीं हो सकता यही मज़बूत और (बिल्कुल सीधा) दीन है मगर बहुत से लोग नहीं जानते हैं