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Sura 3
Aya 69
69
وَدَّت طائِفَةٌ مِن أَهلِ الكِتابِ لَو يُضِلّونَكُم وَما يُضِلّونَ إِلّا أَنفُسَهُم وَما يَشعُرونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किताबवालों में से एक गिरोह के लोगों की कामना है कि काश! वे तुम्हें पथभ्रष्ट कर सकें, जबकि वे केवल अपने-आपकों पथभ्रष्ट कर रहे है! किन्तु उन्हें इसका एहसास नहीं