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Sura 3
Aya 187
187
وَإِذ أَخَذَ اللَّهُ ميثاقَ الَّذينَ أوتُوا الكِتابَ لَتُبَيِّنُنَّهُ لِلنّاسِ وَلا تَكتُمونَهُ فَنَبَذوهُ وَراءَ ظُهورِهِم وَاشتَرَوا بِهِ ثَمَنًا قَليلًا ۖ فَبِئسَ ما يَشتَرونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और (ऐ रसूल) इनको वह वक्त तो याद दिलाओ जब ख़ुदा ने अहले किताब से एहद व पैमान लिया था कि तुम किताबे ख़ुदा को साफ़ साफ़ बयान कर देना और (ख़बरदार) उसकी कोई बात छुपाना नहीं मगर इन लोगों ने (ज़रा भी ख्याल न किया) और उनको पसे पुश्त फेंक दिया और उसके बदले में (बस) थोड़ी सी क़ीमत हासिल कर ली पस ये क्या ही बुरा (सौदा) है जो ये लोग ख़रीद रहे हैं