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Sura 3
Aya 140
140
إِن يَمسَسكُم قَرحٌ فَقَد مَسَّ القَومَ قَرحٌ مِثلُهُ ۚ وَتِلكَ الأَيّامُ نُداوِلُها بَينَ النّاسِ وَلِيَعلَمَ اللَّهُ الَّذينَ آمَنوا وَيَتَّخِذَ مِنكُم شُهَداءَ ۗ وَاللَّهُ لا يُحِبُّ الظّالِمينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

अगर (जंगे ओहद में) तुमको ज़ख्म लगा है तो उसी तरह (बदर में) तुम्हारे फ़रीक़ (कुफ्फ़ार को) भी ज़ख्म लग चुका है (उस पर उनकी हिम्मत तो न टूटी) ये इत्तफ़ाक़ाते ज़माना हैं जो हम लोगों के दरमियान बारी बारी उलट फेर किया करते हैं और ये (इत्तफ़ाक़ी शिकस्त इसलिए थी) ताकि ख़ुदा सच्चे ईमानदारों को (ज़ाहिरी) मुसलमानों से अलग देख लें और तुममें से बाज़ को दरजाए शहादत पर फ़ायज़ करें और ख़ुदा (हुक्मे रसूल से) सरताबी करने वालों को दोस्त नहीं रखता