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Sura 3
Aya 117
117
مَثَلُ ما يُنفِقونَ في هٰذِهِ الحَياةِ الدُّنيا كَمَثَلِ ريحٍ فيها صِرٌّ أَصابَت حَرثَ قَومٍ ظَلَموا أَنفُسَهُم فَأَهلَكَتهُ ۚ وَما ظَلَمَهُمُ اللَّهُ وَلٰكِن أَنفُسَهُم يَظلِمونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

दुनिया की चन्द रोज़ा ज़िन्दगी में ये लोग जो कुछ (ख़िलाफ़ शरा) ख़र्च करते हैं उसकी मिसाल अन्धड़ की मिसाल है जिसमें बहुत पाला हो और वह उन लोगों के खेत पर जा पड़े जिन्होंने (कुफ़्र की वजह से) अपनी जानों पर सितम ढाया हो और फिर पाला उसे मार के (नास कर दे) और ख़ुदा ने उनपर जुल्म कुछ नहीं किया बल्कि उन्होंने आप अपने ऊपर जुल्म किया