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Sura 28
Aya 86
86
وَما كُنتَ تَرجو أَن يُلقىٰ إِلَيكَ الكِتابُ إِلّا رَحمَةً مِن رَبِّكَ ۖ فَلا تَكونَنَّ ظَهيرًا لِلكافِرينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

इससे मेरा परवरदिगार ख़ूब वाक़िफ है और तुमको तो ये उम्मीद न थी कि तुम्हारे पास ख़ुदा की तरफ से किताब नाज़िल की जाएगी मगर तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी से नाज़िल हुई तो तुम हरग़िज़ काफिरों के पुश्त पनाह न बनना