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Sura 28
Aya 34
34
وَأَخي هارونُ هُوَ أَفصَحُ مِنّي لِسانًا فَأَرسِلهُ مَعِيَ رِدءًا يُصَدِّقُني ۖ إِنّي أَخافُ أَن يُكَذِّبونِ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और मेरा भाई हारुन वह मुझसे (ज़बान में ज्यादा) फ़सीह है तो तू उसे मेरे साथ मेरा मददगार बनाकर भेज कि वह मेरी तसदीक करे क्योंकि यक़ीनन मै इस बात से डरता हूँ कि मुझे वह लोग झुठला देंगे (तो उनके जवाब के लिए गोयाइ की ज़रुरत है)